Sunday, July 13, 2008

ब्रश नहीं किया तो होगा निमोनिया व हार्ट अटैक!

दांतों की साफ सफाई न करने से हार्ट अटैक के बाद अब निमोनिया का भी अटैक बढ़ गया है। दांतों पर जमा प्लाक (गंदगी ) और मसूडे की बीमारी निमोनिया का कारण बन रही है, क्योकिं मुंह से सांस के रास्ते बैक्टीरिया सीधे फेफड़ों में चले जाते हैं। कुछ समय में निमोनिया के 3 से 5 फीसदी केस बढ़कर 9 फीसदी तक पहुंच गए हैं। खासतौर पर वेंटीलेटर से सांस लेने वालों, इंटेसिंव केयर यूनिट (आईसीयू) में दाखिल मरीजों और इंफैक्टेड इंस्ट्रूमैंट का इस्तेमाल करने वालों में ये जल्दी पनपता है। डैटिंसट मानते हैं कि निमोनिया के मुख्य कारण दांतों की सफाई न होना ही है।वेंटीलेटर से बैक्टीरियावेंटीलेटर से सांस लेने वाले अधिक शिकार होते हैं। वेंटीलेटर जब हवा को फेफड़ों तक भेजता है, तब रोगी के दांतों के मैल में छुपे बैक्टीरिया भी उनके फेफड़ों में पहुंच सकते हैं और अगर एक बार बैक्टीरिया फेफड़ों में पहुंच जाते हैं तो वहीं पनपने लगते हैं और फिर वैसा ही इंफ्लैमेशन पैदा करते हैं, जैसा निमोनिया में होता है। क्लोरोहेक्सन युक्त माउथवॉश या जेल की मदद से वेंटीलेटर के कारण हुए निमोनिया से लड़ा जा सकता है।आईसीयू व इंफैक्टिड इंस्ट्रूमैंट भी खतराडेटिंसट डा। संजीव कुकरेजा के मुताबिक मरीज जिनती लंबी अवधि तक इंटेसिंव केयर यूनिट (आईसीयू) में रहता है, उसके मुंह में बैक्टीरिया उतने ही बढ़ते हैं। जिसका कारण एंटीबायोटिक्स का अधिक इस्तेमाल होता है । इसे हॉस्पिटलाइज निमोनिया का नाम दिया गया । हवा के कारण ये मरीज में जल्दी ट्रांस्फर हो जाता है । इंफैक्टिड इंस्ट्रूमैंट के इस्तेमाल से भी निमोनिया का खतरा बढ़ा है।
वाल्व से फेफड़ों में जाता बैक्टीरिया
डैटिंसट डा. सचिव देव मेहता बताते हैं कि फूड और विंड पाईप के मध्य बने वाल्व से सांस के रास्ते बैक्टीरिया फोरन बॉडी के जरिए सीधा फेफड़ों में जाकर निमोनिया करता है। एंटीबायोटिक के अनियमित इस्तेमाल से भी ये बढ़ता है। इन केसों में पिछले कुछ समय में काफी बढ़ौतरी हुई है। पहले ये सिर्फ हार्ट अटैक का प्रमुख कारण था।
ध्यान से साफ करें दांत
इडिंयन डेंटल एसोसिएशन के मुताबिक रोजाना दो बार दांत साफ करें। सुबह मुंह से आने वाली बदबू को दूर करने के लिए और शाम को खाने के बाद बैक्टीरिया को भगाने के लिए दो मिनट से ज्यादा ब्रश करने से दांतों की इनामेल की रक्षा परत हट जाती है । इस इनामेल परत की मोटाई सिर्फ 0 से 2 मिमी तक होती है । इसका निर्माण दोबारा नहीं हो सकता है, क्योकिं इसमें सेल्स नहीं होते हैं ।
बचाव : - दांतों के अलावा मुंह को सही तरीके से साफ करें
समय-समय पर डेंटिस्ट से दांतों की क्लीनिंग व जांच करवाएं
दांतों में खाना न फंसने दें
दांतों की कैविटी (खोड़) को तुरतं भरवाएं
सड़न से बैक्टीरिया पैदा होते हैं, सड़न पैदा न होने दें
- रोहित सिद्धू